International E-publication: Publish Projects, Dissertation, Theses, Books, Souvenir, Conference Proceeding with ISBN.  International E-Bulletin: Information/News regarding: Academics and Research

भारतीय शास्त्रीय संगीत में अभिवृत्ति, कौशल और रियाज़ की वैश्विक संरचना

Author Affiliations

  • 1संगीत विभाग, आर्ट्स कॉलेज अकोला (मलकापुर), तह. जिल्हा - अकोला, महाराष्ट्र, भारत

Res. J. Language and Literature Sci., Volume 7, Issue (2), Pages 5-9, May,19 (2020)

Abstract

भारतीय शास्त्रीय संगीत कला ने भारत का नाम सम्पूर्ण विश्व में एक उच्चतम कला के रूप में प्रस्तापित किया हैं l विश्व का प्रत्येक व्यक्ति भारतीय शास्त्रीय संगीत को सुनने में रूचि ले रहा हैं l वह भारतीय शास्त्रीय की अभिवृत्ति, भावनात्त्मकता (Attitude), संगीत को सिखने का कौशल (Skills), और भारतीय संगीत की रियाज करने की पध्दति (Practices) आदि महत्त्वपूर्ण बातों का अध्ययन और अनेक मार्गों से जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहा हैं l भारतीय शास्त्रीय संगीत की महानता, मानसिक शांतता, मनोविज्ञान, सर्वोत्तम आनंद, भावनिक प्रसन्त्ता, ज्ञान का असीमित भंडार, छोटे बच्चोसे लेकर वृद्ध व्यक्ति पर भारतीय शास्त्रीय संगीत का सकारात्त्मक होने वाला बदल सपूर्ण विश्व ने मान्य किया है l अनेक अनुसंधानों से यह सिद्ध किया गया है और आज भी हो रहा है की भारतीय शास्त्रीय संगीत कला यह मनोव्याज्ञानिक, भावनात्त्मक, शारीरिक, प्राकृतिक दृष्टी से लाभदाक कला हैl इस लिये भारतीय शास्त्रीय संगीत को आत्मसाद करना आवश्यक है।

References

  1. शर्मा रामविलास (२०१०)., संगीत का इतिहास और भारतीय नवजागरण कसी समस्याएँ'., प्रथम संस्क्रण, वाणी प्रकाशन, दिल्ली
  2. पाठक पण्डित जगदीश नारायण (संगीत मार्तण्ड) (२००६)., संगीत शास्त्र प्रवीण., पाठक पब्लिकेशन प्रकाशन, एकादश आवृत्ति, इलाहबाद
  3. श्रीवास्तव हरिश्चन्द्र (२०११)., संगीत निबंध सग्रह., संगीत सदन प्रकाशन, इलाहबाद
  4. देशपांडे पं स भ (संगीत अलंकार) (२००७)., अखिल भारतीय गांधर्व महाविद्यालय मंडल., , मिराज
  5. वाजपेयी सुनृत कुमार (२००५)., पाश्चात्य सौंदर्य शास्त्र का इतिहास., नमन प्रकाशन, संशोधित संस्करण नई दिल्ली