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भारतीय शास्त्रीय संगीत की शक्ती, आचारशास्त्र और आस्था का विश्वव्यापी स्वरूप

Author Affiliations

  • 1संगीत विभाग, कला महाविघालय अकोला (मलकापुर), तह एवं जिला अकोला-४४४००४. महाराष्ट, भारत

Res. J. Language and Literature Sci., Volume 6, Issue (1), Pages 15-19, January,19 (2019)

Abstract

भारतीय शास्त्रीय संगीत सन्पूर्ण विश्व मे अपना महत्वपूर्ण स्थान बना चुका है । शास्त्रीय संगीत में जटील जिअल रोग को अच्छा करने की (Music Therapy) शक्ती है, पेड़ो को अच्छी तरीके से बड़ा करने की शक्ती है, यहॅँ सिध्द हो चुका है। आत्मशान्ती और मानसिक स्थ्िाTरता में संगीत अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शास्त्रीय संगीत में अनेक रागोंका अध्ययन किया जाता है और यहँ राग केवल दस थाटों से उत्पन्न होते हैं। प्रत्येक राग यहँ एक दुसरे से भिन्न होता हैं और इसमें राग नियमोंका, आचारशास्त्र का कठोरता से पालन किया जाता हैं। कुछ राग गंभीर होते हैं तो कुछ राग चंचल होते हैं। राग नियमोका कठोरतासे पालन करते हुये रागों का गायन किया जाता हैं और संगीत का आनंद लिया जाता हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत यहँ आस्था पर आधारीत हैं, प्रत्येक राग भक्ती मार्ग पर और बंदीशे परमात्मा के गुणगौरव, राजा महाराजाओं के गुणगान और धार्मिकता पर आधारीत होती हैं, प्रत्येक राग के माध्यम से मन को एकाग्र और केंन्द्रीत कर परमात्मा का चिन्तन, मनन कर परमात्मा के प्रती अपनी अपार श्रध्दा और आस्था प्रकट की जाती हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत का स्वरूप विश्वव्यापी हुँआ हैं और विश्व के प्रत्येक देशों के लोग भारतीय शास्त्रीय संगीत का अध्ययन कर नवनवीन अनुसन्धान कर रहे हैं। शास्त्रीय संगीत अब अनेक पंडीत, संगीत साधक, अध्यापकों के व्दारा ऑनलाईन क्लॉस के माध्यमो से और विदेशों में सेमीनार, कॉन्सर्ट, वर्कशॉप, कॉन्फरन्स के व्दारा भारतीय संगीत को विश्वव्यापी बना रहे हैं, संगीत से प्रेरीत विदेशी संगीत प्रेमी भारत के विविध क्षेत्र में वास्तव्य कर शास्त्रीय संगीत का अध्ययन कर शास्त्रीय संगीत की व्याप्ती विश्व में बिखेर रहे हैं। प्रस्तुत संशोधन निबन्ध यहँ भारतीय शास्त्रीय संगीत की शक्ती, आचारशास्त्र और आस्था का विश्वव्यापी स्वरूप का अध्ययन पर आधारीत हैं।

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